कारक

संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया से संबंध बताने वाला रूप या विभक्ति कारक कहलाता है।

कारक के 8 प्रकार होते है।

  1. कर्ता कारक
  2. क्रिया को करने वाला विभकित – ने , कोई नही , को
  3. पहचान क्रिया के साथ कौन प्रश्‍न पूछकर जो उत्‍तर मिला है वह कर्ता कारक है।
  4. उदाहरण :- अरूण गा रहा है। इस वाक्‍य में गाने की क्रिया अरूण दवारा की जा रही है अत: अरूण कर्ता है।
  • कर्म कारक
  • जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़े वह कर्म कारक कहलाता है। जैसे – मैने सेब खाया । उक्‍त वाक्‍य में क्रिया ‘खाने’ का प्रभाव ‘सेब’ पर पड़ रहा है , इसलिए ‘सेब’ कर्म है।
  • शिकारी ने हंस मारा ।
  • पहचान : क्‍या , किसे
  • करण कारक
  • करण का अर्थ है- साधन । जिस साधन से क्रिया को किया जाए , वह करण कारक कहलाता है।
  • जैसे :- राम साइकिल से स्‍कूल जाता है। राहुल अमित की संगत से बिगड़ गया।
  • पहचान – कैसे , किससे
  • संप्रदान कारक
  • जिसके लिए क्रिया की जाए , वो संप्रदान कारक कहा जाता है। या जिसको क्रिया का लाभ पहुँचे , वह संप्रदान कारक है ।
  • जैसे – डॉंक्‍टर ने सुरेश को दवा दी।
  • पहचान :- किसे , किसके लिए
  • अपादान कारक
  • जहां पर किसी संज्ञा या सर्वनाम का किसी वस्‍तु से अलग होना पाया जाता है या जहां तुलना की जाती है , वहां अपादान का होना पाया जाता है।
  • जैसे :- बंदर पेड़ से कूदा । राम गाड़ी से गिर गया। सोनू , मोनू से अधिक बलवान है।
  • (जो चीज अपनी जगह पर है , वह अपादान कारक है।)
  • अधिकरण कारक
  • जहां पर किसी क्रिया के होने का समय या स्‍थान का विवरण पाया जाता है वहां अधिकरण कारक का होना पाया जाता है।
  • जैसे :- वह कार में बैठ गया । वह जून में दिल्‍ली गया ।
  • पहचान :- कब , कहॉं
  • संबंध कारक
  • किसी एक संज्ञा या सर्वनाम का संबंध किसी दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से बताने वाला विभक्ति संबंध कारक कहलाता है।
  • जैसे :- यह सुमित का स्‍कूल है। तितली का रंग गुलाबी है। मेरी पुस्‍तक कहां है।
  • संबोधन कारक
  • जहॉं पुकारने का बोध हो , वहॉं संबोधन कारक होता है।
  • जैसे :- हे! राम , अरे! भाई , सुनो! जरा , ध्‍यान दो! , ओए! 
  • एक ही शब्‍द का प्रयोग विभिन्‍न कारकों के रूप में किया जा सकता है।
  • जैसे :- मैं बस में बैठ गया(अधिकरण कारक )।मैं बस से घर आ गया (करण कारक)। मैं बस से उतर गया(अपादान कारक)

कारकों की पहचान

कारकों की पहचान कारक चिन्‍हों से की जाती है। कोई शब्‍द किस कारक में प्रयुक्‍त है, यह के अर्थ पर भी निर्भर है। सामसन्‍यता: कारक निम्‍न प्रकार पहचाने जाते है:

  • कर्ता :- क्रिया को संपन्‍न करने वाला
  • कर्म :-क्रिया से प्रभावित होने वाला
  • करण :-क्रिया का साधन या उपकरण
  • संप्रदान :- जिसके लिए कोई क्रिया संपन्‍न की जाए
  • अपादान :-जहॉं अलगाव हो वहॉं ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है।
  • संबंध :- जहॉं दो पदों का पारस्‍परिक संबंध बताया जाए ।
  • अधिकरण :- जो क्रिया के आधर (स्‍थान , समय , अवसर) आदि का बोध कराए ।
  • संबोधन :- किसी को पुकार कर संबोधित किया जाये।
  • एक ही वाक्‍य में एक से अधिक कारक हो सकते हैं , जैसे – हे मुनीश्‍वर! राम ने अपनी पत्‍नी सीता के लिए रावण को लंका में तीर से मारा , वह रथ से गिर गया ।
  • कर्ता – राम , कर्म – रावण , करण – तीर से , संप्रदान – सीता के लिए , अपादान – रथ से गिर गया , अधिकरण – लंका में , संबंध – अपनी पत्‍नी , संबोधन – हे मुनीश्‍वर !

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