- शब्द की जाति को लिंग कहते है। अर्थ चिन्ह या निशान
- संज्ञा के जिस रूप से वस्तु की जाति (पुरूष या स्त्री ) का बोध होता है।
लिंग के प्रकार
- पुल्लिंग 2.स्त्रीलिंग 3.नपुंसक लिंग
- हिन्दी मे लिंग का निर्णय दो प्रकार से किया जाता है।
- शब्द के अर्थ के अनुसार (2) शब्द के रूप के अनुसार
- जिस संज्ञा से पुरूषत्व का बोध होता है पुल्लिंग कहते है। जैसे:- लड़का , बैल , शकर , वृक्ष
- जिस संज्ञा से स्त्रीत्व का बोध होता है स्त्रीलिंग कहते है। जैसे :- लड़की , घोड़ी , मेज , कुर्सी
- जिन प्राणीवाचक संज्ञाओं से जोड़े का ज्ञान होता है उनमें पुरूषवाचक संज्ञाऍं पुल्लिंग और स्त्रीवाचक संज्ञाऍं स्त्रीलिंग होती है। जैसे :- नर- नारी , घोड़ा- घोड़ी , गाय- बैल।
विशेष
- कुछ मनुष्य तो प्राणीवाचक संज्ञाओं से दोनों लिंगो का बोध होता है , परन्तु व्यवहार के अनुसार ही वे पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग होते है। जैसे :-
पुल्लिंग – पक्षी , उल्लू , कौवा , खटमल , तेंदुआ
स्त्रीलिंग :- चील , चिडि़या , कोयल , लोमड़ी , मछली
- प्राणियों के समुदायक वाचक नाम भी व्यवहाी के अनुसार पुल्लिंग अथवा स्त्रीलिंग होते है। जैसे:-
पुल्लिंग – समूह , झुण्ड , दल , मण्डल , संघ
स्त्रीलिंग – सभा , टोली , मण्डली , गोष्ठी , पंचायत , सरकार , फौज , पल्टन
- हिंदी में अप्राणिवाचक शब्दों का लिंग निर्णय प्राय: व्यवहार के अधीन रहता है। अर्थ और रूप दोनों ही साधनों से इन शब्दों का लिंग जानने मे कठनाई होती है। जैसे :- दही , अखबार , बूरा
- कुछ व्याकरण अप्राणिवाचक संज्ञाओं के अर्थ के अनुसार लिंग निर्णय के लिए अपने नियम बना लेते है।
- एक ही शब्द को भिन्न अवसरों पर भिन्न लिंग में प्रयुक्त होते हुए देखा जाता है ।जैसे :5 उसको देह गान है , उसके देह में खुजली है ।